साइंटिस्ट्स ने नाक पर छिड़का जाने वाला एक ऐसा स्प्रे तैयार किया है, जिसके बारे में उनका दावा है कि इससे शर्मीलेपन को दूर करने में मदद मिलती है।
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लेखक को यह बात बहुत सालती है कि किसानों और खेत मजदूरों के संगठन समाप्त हो गए हैं और विश्व बैंक के हाथों की कठपुतली बने नेता इस विभीषिका से अनजान हैं कि गुलाब के बगीचों से गुजरने के लिए लोगों को मास्क लगाने पड रहे हैं अन्यथा कीटनाशक दवाओं के नाम पर छिड़का जाने वाला ज़हर किसी को भी बेहोश कर सकता है.